अक्षय तृतीया शौर्य श्रेयस व समरसता का प्रतीक साध्वी जिनबाला
अक्षय तृतीया का कार्यक्रम हुआ आयोजित :-
बायतु, (शौकत सोलंकी)। तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता, साधना के शलाका पुरुष आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी श्री जिनबाला जी के सान्निध्य में अक्षय तृतीया का कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय तेरापंथ भवन बायतु में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीमती जसोदा छाजेड़ ने अपने मंगलाचरण से किया साध्वीश्री जिनबालाजी ने अपने मंगल उद्बोधन में बताया कि अक्षय तृतीया पर्व जैन धर्म में जिस रूप में मनाया जाता है उनके तीन प्रतीक चिन्ह है ऋषभ, श्रेयांश, और इक्षुरस, ऋषभ, शौर्य के प्रतिक है श्रेयांश, श्रेयस के प्रतीक हैं और इक्षुरस, समरस व क्षमता का प्रतीक है आज के इस पर्व पर हमें शक्ति, शौर्य, श्रेयस, व समरस में रमण करने की प्रेरणा मिलती हैं। यदि हम अपने जीवन में शक्ति, श्रेयस, समरस, को अपनाने की कोशिश करेंगे तो इस पर्व को मनाने में स्वतः ही सार्थकता हो सकती हैं। साध्वीश्री करुणा प्रभा जी ने अपने अभिभाषण में कहा भगवान ऋषभ केवल जैन समाज ही नहीं अपितु वैष्णव व मुस्लिम समाज के लोग भी मानते हैं इसके पूरे इतिहास की जानकारी संक्षिप्त में पेश की। साध्वीश्री भव्य प्रभा ने भगवान ऋषभ को एक महासंकल्पी बताते हुए किस प्रकार उन्होंने कर्म युग को धर्मयुग में परिवर्तन किया उनके बारे में बताया।
तेरापंथ महिला मंडल की महिलाओं ने सामूहिक गीत की प्रस्तुति दी कन्या मंडल व ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियो ने संयुक्त रूप से अक्षय तृतीया के इतिहास को लघु नाटिका के माध्यम से प्रस्तुति देकर जनता को मंत्रमुग्ध कर दिया। सुख दान चारण व कोमल भंसाली ने गीतों भाषण के माध्यम से भगवान आदिनाथ प्रभु की अभ्यर्थना की। कार्यक्रम में जैन समाज के अतिरिक्त अन्य समाज के लोग भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
मंच का सफल संचालन साध्वीश्री प्राचीप्रभा ने किया।
इस मौके पर तेरापंथ सभा अध्यक्ष राकेश जैन, नेमीचंद छाजेड़, नेमीचंद बालड़, नंदकिशोर तापड़िया, नंदराम चौधरी, चम्पालाल सोनी, महिला मंडल मंत्री अनिता जैन प्रज्ञा जैन सहित तेरापंथ समाज के अतिरिक्त अन्य समाज से भी श्रावक समाज की उपस्थिति सराहनीय रही।