नई दिल्ली। वाइस एडमिरल देशमुख वीजेटीआई, मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं और उन्हें 31 मार्च 1986 को भारतीय नौसेना में एक इंजीनियर अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था। उनके पास इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री है और वे डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन से पोस्ट ग्रेजुएट हैं। फ्लैग ऑफिसर श्री देशमुख ने नौसेना मुख्यालय में स्टाफकार्मिक और मैटरियल शाखा, परीक्षण एजेंसियों, मैटरियल संगठन, नौसेना डॉकयार्ड और एचक्यूईएनसी में कमांड स्टाफ के रूप में विभिन्न महत्वपूर्ण नियुक्तियों पर भी कार्य किया है। श्री देशमुख ने विभिन्न पदों पर राजपूत क्लास, दिल्ली क्लास और तेग क्लास के फ्रंटलाइन जहाजों पर भी कार्य किया है।
एक फ्लैग ऑफिसर के रूप में उन्होंने नौसेना मुख्यालय में मैटरियल (डॉकयार्ड और रिफिट्स) के सहायक प्रमुख, चीफ स्टॉफ आफिसर (तकनीकी)/मुख्यालय ईएनसी, नौसेना डॉकयार्ड विशाखापत्तनम के एडमिरल अधीक्षक, विशाखापत्तनम में ही नौसेना परियोजनाओं के महानिदेशक और नियंत्रक युद्धपोत उत्पादन तथा अधिग्रहण के रूप में कार्य किया है। नौसेना मुख्यालय में सीडब्ल्यूपीएंडए के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान ही पहले स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी-I) की कमीशनिंग हुई और इसने स्वदेशी विमान वाहक पर पहला एलसीए का ऐतिहासिक ट्रैप हासिल किया था। इसके अलावा, उनके कार्यकाल में ही कई फ्रंटलाइन युद्धपोतों और पनडुब्बियों का जलावतरण और कमीशनिंग भी हुई। उनकी विशिष्ट सेवा को सम्मान देते हुए एडमिरल देशमुख को विशिष्ट सेवा पदक और अति विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया है।