नई दिल्ली। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज उत्तर प्रदेश के बागपत में 14 एमएलडी सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) और 2.4 किलोमीटर लंबे इंटरसेप्शन एंड डायवर्सन (आई एंड डी) नेटवर्क का उद्घाटन किया। परियोजना का मुख्य उद्देश्य नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत शत-प्रतिशत केंद्रीय वित्तपोषण के साथ डीबीओटी प्रणाली के अंतर्गत 14 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) की क्षमता वाले अत्याधुनिक सीवेज उपचार संयंत्र की स्थापना करना है। परियोजना की अनुमानित लागत 77.36 करोड़ रुपये है। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह, श्री सत्यपाल सिंह, बागपत के सांसद, श्री जसवंत सिंह सैनी, औद्योगिक विकास और संसदीय कार्य राज्य मंत्री, उत्तर प्रदेश, श्री योगेश धामा, बागपत के विधायक और श्री जी अशोक कुमार, एनएमसीजी के महानिदेशक भी उपस्थित हुए।
नमामि गंगे मिशन के माध्यम से हिमाचल प्रदेश से लेकर बंगाल तक व्यापक संरक्षण कार्य किए जा रहे हैं: शेखावत
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि गंगा और यमुना नदी के जल को शुद्ध करने की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। उन्होंने जीवन के लिए पानी की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और रेखांकित किया कि इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए केंद्रीय मंत्री ने नमामि गंगे मिशन के माध्यम से हिमाचल प्रदेश से लेकर बंगाल तक किए जा रहे व्यापक संरक्षण और संवर्धन कार्यों पर प्रकाश डाला। एनएमसीजी के एक दशक के प्रयासों को रेखांकित करते हुए, श्री शेखावत ने सफल नदी संरक्षण कार्यों पर गर्व व्यक्त किया। विशेष रूप से, पुनर्जीवित कार्यों ने गंगा नदी में जलीय जीवन की वापसी को संभव बनाया है, जिसमें मछलियों, कछुओं और डॉल्फ़िन की संख्या में वृद्धि हुई है, जो नदी के निरंतर जीवन शक्ति की पुष्टि करती है।
श्री शेखावत ने कनाडा के मॉन्ट्रियल में संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन में प्राकृतिक दुनिया को पुनर्जीवित करने के लिए नमामि गंगे को शीर्ष 10 विश्व पुनर्स्थापना फ्लैगशिप में से एक के रूप में मान्यता दिए जाने पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने बल देकर कहा कि गंगा और यमुना नदी न केवल आस्था के प्रतीक हैं बल्कि लोगों की जीविका और आजीविका के आवश्यक स्रोत भी हैं। गंगा नदी बेसिन, देश की सबसे बड़ी बेसिन में से एक है, जिसमें कुल आबादी का 43 प्रतिशत हिस्सा है। श्री शेखावत ने बदलती परिस्थितियों और शहरीकरण के कारण नदियों के लुप्त होते अस्तित्व पर चिंता व्यक्त की। जवाब में, उन्होंने इन चुनौतियों का सामना करने के लिए महत्वपूर्ण पहल के रूप में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चल रहे महत्वपूर्ण प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक उल्लेखनीय उपलब्धि के रूप में, गंगा का पानी अब पीने योग्य मानक तक पहुंच चुका है। यमुना को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में उत्पन्न हो रही चुनौतियों पर चर्चा करते हुए, उन्होंने कहा कि ओखला में एशिया का सबसे बड़ा सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) की स्थापना सफलतापूर्वक की गई है, जिसकी 564 एमएलडी की प्रभावशाली क्षमता है। श्री शेखावत ने वर्ष के अंत तक दिल्ली में यमुना के पानी की 100 प्रतिशत स्वच्छता सुनिश्चित करने के दृढ़ संकल्प के साथ यमुना के प्रदूषण का मुकाबला करने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए अपनी बात समाप्त की।
श्री जी अशोक कुमार, एनएमसीजी के महानिदेशक ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बागपत में नवनिर्मित 14 एमएलडी सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) को 2.345 किलोमीटर की इंटरसेप्शन लाइन के माध्यम से 4 नालों से निकलने वाले सीवेज अपशिष्ट का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उन्होंने उल्लेख किया कि इस मध्यवर्तन का उद्देश्य सड़क के किनारे खुली नालियों से दूर घरेलू अपशिष्ट जल को पुनः निर्दिष्ट करना है, जिससे नालों में निर्वहन ज्यादा कुशलता से हो सके। श्री अशोक कुमार ने गंगा की सहायक नदियों पर केंद्रित व्यापक सफाई एवं कायाकल्प प्रयासों में एनएमसीजी की अटूट प्रतिबद्धता पर भी बल दिया।
इस परियोजना में क्षेत्र के चार प्रमुख नालों का रणनीतिक अवरोधन शामिल है, जो यमुना नदी के पवित्र जल में सीवेज के निर्वहन को प्रभावी रूप से कम करता है। कुशल सीवेज अवरोधन सुनिश्चित करने के लिए 2.345 किलोमीटर तक फैले प्रबलित सीमेंट कंक्रीट (आरसीसी) एनपी3 पाइपों का उपयोग करके एक इंटरसेप्टिंग सीवर लाइन तैयार की गई है। 600 मीटर की दूरी तय करने वाले डक्टाइल आयरन (डीआई) के-9 पाइपों को लगाने से राइजिंग मेन के माध्यम से निर्बाध ऊर्ध्वाधर परिवहन की सुविधा प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त, एक मास्टर पंपिंग स्टेशन (एमपीएस) की स्थापना प्रणाली में सीवेज के कुशल प्रवाह को नियंत्रित करती है। इन प्रगतियों को लागू करते हुए, व्यापक पहल में एक मजबूत संचालन एवं रखरखाव योजना शामिल है, जो अगले 15 वर्षों के लिए सुविधा में सर्वोत्कृष्ट कार्यक्षमता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
बागपत एसटीपी, यमुना नदी की प्रदूषण संबंधी चिंताओं को समाप्त करने के लिए भारत सरकार की कोशिशों के प्रमुख घटकों में से एक है, जो पर्यावरण प्रबंधन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 1993 में शुरू की गई यमुना एक्शन प्लान (वाईएपी 1, 2 और 3) में केंद्र सरकार ने बढ़ते प्रदूषण स्तर से निपटने के लिए हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश सहित यमुना नदी के किनारे स्थित राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान की है। इस व्यापक संदर्भ में, बागपत एसटीपी प्रगति का प्रतीक है, जो सीवेज उपचार और दीर्घकालिक जल प्रबंधन की आवश्यकता को पूरा करता है।
गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी, यमुना प्रयागराज में गंगा में मिलने से पहले उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश राज्यों से होकर बहती है। भारत सरकार ने एनएमसीजी के सहयोग से हाल ही में 34 परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की है, जिसमें 2110.25 एमएलडी एसटीपी क्षमता का निर्माण करने के लिए 5834.71 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। ये परियोजनाएं नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश (01), हरियाणा (02), दिल्ली (11), और उत्तर प्रदेश (20) में रणनीतिक रूप से वितरित की गई हैं, जिसका उद्देश्य यमुना और हिंडन नदियों के प्रदूषण में कमी लाना है। गौरतलब है कि इन 34 परियोजनाओं में से 15 पहले ही पूरी की जा चुकी हैं, जिनमें हिमाचल प्रदेश के पोंटा साहिब में एक, हरियाणा के सोनीपत और पानीपत में दो, उत्तर प्रदेश के वृंदावन, इटावा, फिरोजाबाद, बागपत और मथुरा में छह (जिसमें एसटीपी और सीईटीपी दोनों शामिल हैं) और दिल्ली में छह परियोजनाएं शामिल हैं।