NHDC असम के बक्सा स्थित इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क में ईआरआई रेशम कताई संयंत्र स्थापित कर रहा है।, NHDC MSME मंत्रालय की एस्पायर योजना के तहत आभूषण और हस्त।
नई दिल्ली। उत्तर पूर्वी हस्तशिल्प और हथकरघा विकास निगम (NHDC) कारीगरों को संभावित बाजारों तथा उपभोक्ताओं से जोड़कर और हस्तशिल्पियों के लिए आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक अवसर प्रदान करता है और उपभोक्ताओं के लिए सांस्कृतिक मूल्यवर्द्धन करके क्षेत्र के स्वदेशी शिल्प को विकसित और बढ़ावा देने का प्रयास करता है।
निगम सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों अर्थात् अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के उत्पादों की श्रृंखला प्रस्तुत करता है। संगठन पूरे क्षेत्र के कारीगरों और बुनकरों से हस्तशिल्प और हथकरघा खरीदता है और उनकी खुदरा बिक्री करता है। इसके अतिरिक्त यह प्रदर्शनियों और व्यापार मेलों के माध्यम से विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में उत्पादों को प्रोत्साहित करता है। निगम कारीगरों और बुनकरों के कौशल और ज्ञान उन्नयन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और सेमिनार भी आयोजित करता है।
उत्तर पूर्वी हस्तशिल्प और हथकरघा विकास निगम लिमिटेड (NHDC) 7.6 करोड़ रुपए की परियोजना लागत से गुवाहाटी में अष्टलक्ष्मी हाट और अनुभव केंद्र की स्थापना कर रहा है। हाट में 24 स्थायी स्टॉल होंगे, जो सभी पूर्वोत्तर राज्यों के कारीगरों को बाजार तक पहुंच प्रदान करेंगे और बाहरी राज्यों के कारीगरों को आवास प्रदान करने के लिए एक कारीगर निवास भी होगा।
NHDC 14.92 करोड़ रुपए की परियोजना लागत से इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क, मुशालपुर, बक्सा (असम) में एक ईआरआई रेशम कताई संयंत्र स्थापित कर रहा है। इसमें 375 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार और लगभग 25,003 परिवारों को अप्रत्यक्ष आजीविका प्रदान करने की परिकल्पना की गई है। इस संयंत्र की क्षमता चालू होने के बाद प्रतिदिन 450 किलोग्राम ईआरआई सिल्क यार्न की उत्पादन करने की होगी।
NHDC 14.92 करोड़ रुपए की परियोजना लागत के साथ डिजिटलीकरण, प्रमाणीकरण और ट्रेसबिलिटी के माध्यम से एनईआर में 7 राज्यों (सिक्किम को छोड़कर) में 10,000 बुनकरों को कवर करते हुए बाजार विकास भी प्रदान कर रहा है। अनुमान है कि एनईएचएचडीसी के इस कदम से अगले 2-3 वर्षों में बुनकरों की आय में 20-30 प्रतिशत की वृद्धि होगी। परियोजना कार्यान्वयन के एक भाग के रूप में सिक्किम को छोड़कर उत्तर पूर्वी राज्यों से 10,000 से अधिक सक्रिय करघा बुनकरों को चिन्हित किया गया है और उनका पंजीकरण किया गया है।
भारत सरकार के लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम मंत्रालय की एस्पायर योजना के तहत आजीविका बिजनेस इन्क्यूबेटर्स (एलबीआई), निगम को एनईएचएचडीसी में आभूषण और हस्तशिल्प इन्क्यूबेशन सेंटर की स्थापना के लिए मंजूरी मिल गई है। इसका बजट परिव्यय 1.9 करोड़ रुपए होगा।